दिशा-निर्देश: जहाँ रेत खनिज उपलब्ध और खदान के रूप में घोषित नहीं है 15 जुलाई तक खदान घोषित किया जाए
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REPORTER:
Desk Report


  • प्रमुख सचिव खनिज ने कमिश्नर-कलेक्टर्स को दिए निर्देश

भोपाल। जिन क्षेत्रों में रेत खनिज उपलब्ध है और उन्हें अब तक खदान के रूप में घोषित नहीं किया गया है ऐसे सभी क्षेत्रों को 15 जुलाई 2024 तक खदान घोषित किए जाने के निर्देश सभी कमिश्नर-कलेक्टर्स को दिये गए हैं। प्रमुख सचिव खनिज श्री निकुंज श्रीवास्तव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी कमिश्नर-कलेक्टर्स इस संबंध में निर्देश दिए। प्रमुख सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर अवैध उत्खनन और परिवहन पर नियंत्रण करने के निर्देश दिये गये हैं।

प्रमुख सचिव श्री श्रीवास्तव ने कहा कि कलेक्टर्स को अवैध उत्खनन एवं परिवहन पर प्रभावी रोकथाम के निर्देश और मार्गदर्शन दिया गया है। पानी के भीतर किसी भी प्रकार के उत्खनन (इन-स्ट्रीम माइनिंग) को सख्ती से रोका जाये। साथ ही उपयुक्त स्थानों पर जाँच चौकियों की स्थापना एवं मानसून के दौरान निर्माण कार्यों को जारी रखने के लिये रेत भण्डारण की पर्याप्त व्यवस्था बनाये रखने के लिये कहा।

श्री श्रीवास्तव ने कहा कि खनिज साधन विभाग द्वारा अवैध उत्खनन एवं भण्डारण की रोकथाम के लिये Geo Spatial Technology का उपयोग कर खनन निगरानी प्रणाली विकसित की जा रही है। इस प्रणाली के अंतर्गत खदानों को जियो टैग कर सेटेलाइट इमेजेस एवं रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी की सहायता से प्रदेश में हो रहे अवैध उत्खनन एवं भण्डारण पर निगरानी रखी जायेगी। उन्होंने बताया कि यह प्रणाली खाद्यान्न के क्षेत्र के बाहर हो रहे अवैध उत्खनन का पता लगाने में सक्षम होगी।

प्रमुख सचिव श्री श्रीवास्तव ने कहा कि खनन निगरानी प्रणाली के अंतर्गत एक निश्चित समय अंतराल पर सतत रूप से प्राप्त सेटेलाइट इमेजेस का विश्लेषण कर सिस्टम द्वारा राज्य एवं जिला प्रशासन को अलर्ट भेजा जायेगा। क्षेत्रीय अमले द्वारा मोबाइल एप के माध्यम से परीक्षण/निरीक्षण कर रिपोर्ट पोर्टल/मोबाइल एप पर दर्ज कर प्रकरण पंजीकृत किया जायेगा। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर खदान या उसके बाहर ड्रोन सर्वे कर वास्तविक उत्खनित मात्रा का पता लगाकर दोषियों पर कार्यवाही कर अर्थदण्ड आरोपित किया जायेगा। यह प्रणाली मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्हलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा विकसित की जा रही है। यह प्रणाली पूरे प्रदेश में सितम्बर-2024 तक प्रभावी रूप से लागू कर दी जायेगी।

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