संस्कारों के बिना समाज का विकास नहीं हो सकता  है- स्वामी सत्यानंद सरस्वती महाराज
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REPORTER:
Desk Report


  • चातुर्मास धर्म सभा प्रवाहित

नीमच। धार्मिक नैतिक संस्कारों के बिना किसी भी समाज का विकास नहीं हो सकता है और नैतिक संस्कारों के बिना कोई भी राष्ट्र विकास नहीं कर सकता है। नैतिक संस्कारों के कारण ही सतयुग में भी कलयुग जैसी बुराइयां विद्यमान नहीं रहती थी। उनका अंत हो जाता था ।इसी प्रकार यदि नैतिक संस्कार रहे तो कलयुग में भी धार्मिक संस्कारों से समाज और देश सुरक्षित रह सकता है और नैतिक संस्कारों के कारण समाज में विकृतियां नहीं आएगी। तभी हमारे जीवन का कल्याण हो सकता है।यह बात स्वामी सत्यानंद सरस्वती महाराज ने कही। वे ग्वालटोली श्री राधा कृष्ण मंदिर में चंद्रवंशी ग्वाला समाज के मार्गदर्शन में कथा श्रीमद् भागवत सेवा समिति की उपस्थिति में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि माता-पिता बच्चों को धन कमाने के लिए रोजगार की शिक्षा सिखा रहे हैं जबकि जीवन जीने के लिए धार्मिक संस्कारों की शिक्षा आवश्यक है। संसार में मनुष्य का जन्म स्वयं की आत्मा का कल्याण तथा दूसरों की भलाई के लिए हुआ है मानव का स्वभाव सदैव पुण्य कर्म करने का होना चाहिए लेकिन मानव पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव में आकर बुरे कर्मों की तरफ बढ़ रहा है जो चिंता का विषय है ग्रामीण क्षेत्र में मजदूरी करने वाला किसान और गरीब मजदूर कभी भी घोटाले में लिप्त नहीं पाया जाता है।यूनिवर्सिटी और विश्वविद्यालय में पढ़े लोग ही घोटाले में लिप्त पाए जाते हैं।।समाज में नारी अत्याचार को कम करना है तो बच्चों को बचपन से ही धार्मिक नैतिक संस्कारों का ज्ञान सिखाना होगा।सतयुग में भी रावण के अत्याचार से दुखी होकर लोग ब्रह्मा जी के पास गए थे फिर विष्णु जी के पास गए थे।जब जब धरती पर पाप और अत्याचार बढ़ता है तो धरती पर महान पुरुष जन्म लेते हैं और अत्याचार को समाप्त करते हैं। धार्मिक और नैतिक संस्कारों से ही महान संतान बन सकती है। और वहअत्याचारों को रोक सकती हैं।दिव्य सत्संग चातुर्मास धर्म सभा सत्संग समारोह के मुख्य संकल्प कर्ता पप्पू हलवाई,श्री मदभागवत उत्सव समिति के सदस्य हरगोविंद दीवान,गोपाल चंद्रवंशी ने बताया कि प्रतिदिन दिव्य चातुर्मास सत्संग का समय रात्रि 8:30 से 10 बजें रहेगा। निर्धारित समय पर उपस्थित होकर धर्म ज्ञान का लाभ ग्रहण करें।आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।

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