समता बिना आत्म कल्याण नहीं हो सकता है- साध्वी श्री प्रशमनिधि मसा
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Desk Report


नीमच। संसार में प्रतिदिन विषम परिस्थितियां भी आती है। लेकिन समता के साथ धैर्य पूर्वक सहनशील  रहना चाहिए तभी आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। समता मोक्ष जाने का सबसे महत्वपूर्ण बीज मंत्र है। सम्यक दर्शन के ज्ञान बिना मानव का कल्याण नहीं हो सकता है। मैना सुंदरी ने भी अपने पति के कुष्ठ रोगी होने के बाद भी समता समयक  का पालन किया तो पति का कुष्ठ रोग भी ठीक हो गया था। यह बात साध्वी प्रगुणा श्री जी मसा की शिष्या  साध्वी  प्रशम निधि म .सा. ने कही। वे  महावीर जिनालय विकास नगर श्री संघ के तत्वावधान में चातुर्मास  में शाश्वत नवपद ओली तपस्या कीआराधना  उपलक्ष में  आयोजित धर्म सभा में बोल रही थी।  उन्होंने कहा कि अज्ञान का अंधकार सदैव सभी के लिए नुकसान करता है। सम्यक दर्शन सभी के जीवन में उजाला जाता है।युवा वर्ग  बीएससी, एमबीए की पढ़ाई कर रहा है लेकिन धर्म संस्कार के ज्ञान के क्षेत्र में वह  अधूरा  है चिंता का विषय है।यदि करोड़पति बनने के बाद भी मनुष्य विचारों से अच्छा नहीं है तो उसका करोड़पति बनना भी सार्थक सिद्ध नहीं होता है। यदि हमारा भाई प्रगति कर रहा है तो हमें उसकी अनुमोदना करना चाहिए । उसके लिए इर्षया का भाव नहीं लाना चाहिए। तभी हमारा मानव जीवन सार्थक सिद्ध हो सकता है।आधुनिक युग में लोग पड़ोसी को सुखी देखने के बाद भी दुखी होते हैं। चिंता का विषय है।गिरगिट को रंग बदलने में समय लगता है लेकिन मनुष्य के विचारों को बदलने में समय नहीं लगता है। चिंतन का विषय है।यदि जीवन में समयक दर्शन का ज्ञान नहीं होगा तो छोटी-छोटी बातों पर संघर्ष होगा। सम्यक दर्शन के कारण ही मैना सुंदरी ने अपने पति के कुष्ठ रोगी होने के लिए अपने पिता को दोषी नहीं माना था।  सीता माता ने भी सहनशीलता दिखाई थी जो आज भी प्रेरणा दाई प्रसंग है सीता माता को वन में भेजा फिर भी उन्होंने राम को दोष नहीं दिया था। घटना के लिए व्यक्ति स्वयं के कर्म ही जिम्मेदार होते हैं। दोषारोपण स्वयं पर होना चाहिए दूसरों पर नहीं।   दूसरे व्यक्ति के दोष को नहीं देखना चाहिए स्वयं के दोष को देखना चाहिए तभी आत्म कल्याण हो सकता है। धर्म सभा में साध्वी प्रगुणाश्रीजी, प्रमोदिता श्रीजी  ,संस्कार निधि म .सा. का मार्ग दर्शन भी मिला।

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