सफलता की कहानी: 'स्‍वावलम्‍बी महिला, सशक्‍त राष्‍ट्र- महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनी मधुकुंवर, बैंक सखी के रूप में बनाई अपनी पहचान
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REPORTER:
Desk Report


नीमच। जिले के ग्राम धनेरियाकलां की मधु कुंवर ने आजीविका समूह से जुडने के बाद गणवेश सिलाई का कार्य प्रारंभ किया और बैंक सखी के पद पर कार्यरत हो कर समाज में खुद की एक नई पहचान बनाई है। साथ ही अपनी आर्थिक स्थिति को भी सुधारा है। समूह में जुड़ने से पहले वह गृहणी के रूप में कार्य करती थी तथा उसके परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नही थी। उसके पति दूसरे लोगो के वाहन चलाने का कार्य करते थे। जिससे परिवार का पालन पोषण करने में काफी कठिनाई आ रही थी। समूह से जुड़ने से पहले वह घर से बाहर नही जाती थी। इस वजह से उसे कोई जानता भी नहीं था।

स्व सहायता समूह से जुड़ने के बाद मधुकुंवर को गणवेश सिलाई का कार्य मिला। आजीविका मिशन द्वारा उनका चयन बैंक सखी के लिए किया गया। इस पद पर चयन के बाद वह बैंक जाने लगी और बैंकिग प्रकिया समझने में आजीविका मिशन एवं बैंक से सहयोग मिला। आज वह बैंक सखी का कार्य बेहतर ढंग से कर रही है। लोगों को बैंकिग प्रक्रिया समझाने में सहयोग कर रही है। जब उनके समूह जय बंजरग बली स्व सहायता समूह को एक लाख रूपये की राशि मिली, तो उन्होने 25 हजार रूपये का ऋण लेकर, कपड़ों की सिलाई कार्य का प्रांरभ किया, इससे उन्हें प्रतिदिन दो सौ रूपये की आमदनी होने लगी और प्राप्त लाभ से उन्होने समूह से लिया हुआ ऋण नियत समय में समूह को वापस कर दिया। पुनः मधुकुंवर ने 40 हजार की राशि का ऋण लिया और स्वयं थोडी राशि मिलाकर एक वाहन खरीदा, जिससे उनके पति को भी रोजगार मिल गया। अब वह हर महीने 10 से 12 हजार रूपये की आमदनी प्राप्त कर रही है। आजीविका मिशन से जुड़ने से उसकी एक नई पहचान बन गई है, और वह समाज की अन्य महिलाओं के लिये प्ररेणा स्त्रोत बन गई है।

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