कुंवारों के देवता श्री बिल्लम बावजी, कई राज्यों से से आ रहे कुंवारे
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Desk Report


  • अब तक हज़ारों कुंवारों ने किए दर्शन, कई हुए सफल

नीमच। जिले के जावद में स्थित श्री बिल्लम बावजी कुंवारों के देवता के नाम से सुप्रसिद्ध है। यंहा की लोक मान्यता है कि कुंवारें लड़के-लड़कियां यदि बिल्लम बावजी की पूजा-अर्चना व दर्शन कर विवाह होने की कामना करते है तो वे जल्द ही शादी के बंधन में बंध जाते है। शनिवार को भी बिल्लम बावजी के यंहा सुबह से शाम तक कुंवारों का तांता लगा रहा। ज्ञात हो कि श्री बिल्लम बावजी की प्रतिमा चल रूप में है। हर साल "होली" के बाद रंग पंचमी के दिन बिल्लम बावजी गणेश मंदिर के बाहर विराजित होते है और 09 दिन बाद ही रंग तेरस पर पुनः गणेश मंदिर में स्थापित हो जाते है। पूरे साल में केवल 09 दिन में ही वे कई कुंवारों की जोड़ियां बना देते हैं। यह सिलसिला परंपरागत होकर कई वर्षों से जारी है। वर्तमान में श्री बिल्लम बावजी के यंहा मध्यप्रदेश के साथ ही राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात व महाराष्ट्र आदि राज्यों से भक्त अपने कुंवारे लड़के-लड़कियों को लेकर यंहा पंहुच रहे है। यंहा लड़कों के साथ लड़कियां भी भगवान श्री बिल्लम बावजी के दर्शन कर कामना कर रही है।

बिल्लम बावजी का मंदिर-

कुंवारों के देवता श्री बिल्लम बावजी का मंदिर (स्थान) मध्यप्रदेश के नीमच जिले के जावद तहसील में है। मुख्य रूप से जावद शहर (नगर) में ही पुरानी धानमंडी क्षेत्र में श्री सिद्धि विनायक गणेश मंदिर है। इसी मंदिर में ही बिल्लम बावजी का स्थान है। उनकी प्रतिमा चल रूप में है।

कब तक विराजतें है कुंवारों के देवता श्री बिल्लम बावजी- 

कुंवारों को आशीर्वाद देने के लिए श्री बिल्लम बावजी प्रतिवर्ष होली के बाद रंग पंचमी के दिन से विराजमान होते है। पूरे सालभर में केवल 09 दिनों तक वे कुंवारों को विवाह होने का आशीर्वाद देते है। इसके बाद श्री बिल्लम बावजी रंग तेरस के दिन पुनः अपने स्थान गणेश मंदिर में ही स्थापित होते है। इस बार रंग पंचमी के दिन 19 मार्च 2025 से रंग तेरस के दिन 27 मार्च 2025 तक श्री बिल्लम बावजी कुंवारे लड़के-लड़कियों को आशीर्वाद दे रहे है।

संतान प्राप्ति के लिए भी होती है बिल्लम बावजी की पूजा-

कुंवारों के देवता श्री बिल्लम बावजी कुंवारों को विवाह बंधन में बांधने के अलावा उन्हें संतान प्राप्ति का भी आशीर्वाद देते है। मान्यता है कि किसी को संतान नहीं होने पर बिल्लम बावजी की पूजा कर उनका आशीर्वाद लेने से शादीशुदा जोड़ों को जल्द ही संतान का सुख भी मिलता है।

ऐसे करें विधिवत पूजा-

श्री बिल्लम बावजी से विवाह होने की कामना करने वाले कुंवारे लड़के-लड़कियों को पूजा-अर्चना विधिवत करनी चाहिए। इसके लिए सूर्योदय से सूर्यास्त समय तक (सुबह 07 से रात 08 बजे तक) पूरे दिन में किसी भी समय बिल्लम बावजी की पूजा कर सकते हैं। बिल्लम बावजी की पूजा से पहले सर्वप्रथम श्री सिद्धि विनायक गणेश मंदिर पर प्रथम पूज्य देव भगवान श्री गजानंद (गणेश) जी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद बिल्लम बावजी के अगरबत्ती या धूप बत्ती लगाएं और नारियल बधारें (फोड़े)। नारियल प्रसाद भगवान को चढ़ाएं। अंत में एक मीठा पान बिल्लम बावजी को भोग के लिए अर्पित करें। इसके बाद दंडवत रूप में जमीन पर लेटकर हाथ जोड़ते हुए भगवान का ध्यान कर उनसे जल्द विवाह होने की कामना करें। पूजा करने के बाद बिल्लम बावजी को अर्पित किए मीठे पान को विवाह की कामना करने वाले कुंवारे लड़के-लड़की को पूरा पान प्रसाद रूप में ग्रहण (खाना) करना चाहिए।

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