OMG ! शिक्षा विभाग का कारनामा, मृतक और सेवानिवृत्त शिक्षको को भी 30 वर्षीय क्रमोन्नति वेतनमान के आदेश जारी,  पढ़ें लापरवाही की इंतहा पार करते शिक्षा विभाग की लापरवाही की खास खबर
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REPORTER:
Desk Report


नीमच | शिक्षा विभाग में लापरवाही के आलम को कौन नहीं जानता लेकिन कभी-कभी यह लापरवाही के आलम अपनी हदों को इतना पार कर देते हैं कि यह सोचने पर मजबूर होना पड़ता है की जिम्मेदारियों के नाम पर खानापूर्ति के काम किए जा रहे हैं | कार्य की गंभीरता नजर नहीं आती है ऐसे में सवाल यही उठता है कि नन्हे-मुन्ने बच्चों के भविष्य के प्रति यह विभाग कितना संवेदनशील है | जब जिले के कमांडिंग रखने वाले कार्यालय प्रमुख के यह हाल है कि मृतक और सेवानिव्रत्‍त हो चुके शिक्षक को भी आदेेश में कार्यरत शब्‍दों के साथ क्रमोन्नति वेतनमान के आदेश जारी कर दिए जाते हैं तो ऐसे में शालाओं में लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों को जिले के आला अधिकारी किस मुंह से अनुशासन का और गंभीरता का पाठ पढ़ा सकते हैं|

क्या है मामला 
सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय भोपाल के 25 अक्टूबर 2017 के आदेश एवं लोक शिक्षण संचनालय के 14 नवंबर 2017 को जारी आदेश के परिपालन में  विभागीय पदोन्नति समिति की अनुशंसा के आधार पर 30 वर्ष का सेवाकाल पूर्ण करने वाले सहायक शिक्षक, शिक्षक, प्रधानाध्यापक प्राथमिक एवं माध्यमिक को तृतीय क्रमोन्नति प्रदान कर वेतनमान 9300-34800+4200 प्रदान किए जाने के आदेश जारी किए गए हैं । इस आदेश के माध्यम से जिले में कुल 73  कर्मचारियों  को तृतीय क्रमोन्नति प्रदान करने के आदेश जारी किए गए हैं | 
लापरवाही का आलम
जिला शिक्षा कार्यालय नीमच द्वारा जारी इस आदेश 110 दिनांक 18 दिसंबर 2018 के अंतर्गत लापरवाही की इंतहा बरतते हुए सरल क्रमांक 8 पर शासकीय माध्यमिक विद्यालय धामनिया में अजीत कुमार जैन को पदस्थ बताते हुए तृतीय क्रमोन्नति प्रदान की गई जबकि इनकी मृत्यु लगभग 1 वर्ष पूर्ण हो चुकी है | जबकि सरल क्रमांक 54 पर दर्ज नाम सुजनमल जैन कि सेवानिवृत्ति को 4 वर्ष से अधिक का समय हो चुका है वहीं सरल क्रमांक 52 पर दर्ज नाम रामेश्वर दास वैष्णव की सेवानिवृत्ति को 2 वर्ष लगभग का समय हो चुका है | लापरवाही का आलम तब पुरजोर तरीके से सामने आता है जब आदेश में स्पष्ट तरीके से इन कर्मचारियों को कार्यरत कर्मचारी के साथ जोड़ा जाता है | 
सवाल यह भी
इस क्रमोन्नति के जारी आदेश को लेकर यह सवाल बनना भी पूरी तरह लाजमी है कि भोपाल से 1 वर्ष पूर्व जारी कर दिए गए आदेश का पालन करने में आखिर जिला शिक्षा कार्यालय को 1 वर्ष का समय क्यों लग गया जबकि यह कार्य 1 वर्ष पूर्व भोपाल के आदेश के पश्चात ही हो जाना था |  इस प्रकार की लापरवाही जिले के शिक्षा विभाग के इस कमांडिंग कार्यालय पर कई प्रकार के सवाल खड़े करती है  |

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