OMG! अंध विश्वास की जकड़न महिला को ले आई मौत के मुहाने पर - खबर घाट क्षेत्र से, महिला काे सियार ने काटा, इलाज के अभाव में रे‍बीज की बनी शिकार ...... पढ़े पूरी खबर सतीश सेन की कलम से
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REPORTER:
Desk Report


  • सिंगोली के समीप कछाला निवासी काली बाई भील को एक माह जंगली सियार ने काटा, इलाज नहीं करवाने पर हो गई रेबीज का शिकार

सिंगोली । हमारे देश में विज्ञान ने भले ही बड़ी तरक्की करली है, लेकिन अंध विश्वास का बोलवाला आज भी कायम है। कई प्रकार की घटनाओं, दुर्घटनाओं से प्रभावित लोग आज भी अंध विश्वास के चलते समय पर अपना उपचार नहीं करवाते और कुछ समय बाद मौत के रास्ते पर अग्रसर होजाते है और जब वे उपचार के लिए चिकित्सा संस्थानों की तरफ आगे बढ़ते है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। ऐसा ही एक मामला रेबीज ग्रसित महिला के रूप में सामने आया है, जिसमें उसे करीब एक माह पूर्व हाथ की अंगुली पर सिवार ने काटा था, उसके परिजनों ने उसकर इलाज करवाने के बजाया अंध विश्वास में रह कर ग्रामीण अंचल के देवी देवताओं के यहां बेल डांडे करवाते रहे, जिससे महिला रेबीज की शिकार होकर मौत के मुहाने पर पहुंच गई है।

मामला सिंगोली तहसील के कछाला गांव का है, जहां भोलीराम भील को पत्नी 40 वर्षीय कचरी को करीब एक माह पूर्व जंगल में सियार ने हाथ की अंगुली पर काट लिया था। महिला के परिजनों से इस घटना को बहुत हल्के से लिया और उसे तत्काल चिकित्सालय पहुंचा कर किसी भी चिकित्सक को दिखाने और रेबीज का टीका लगवाने के बजाय अंध विश्वास के चलते उसे ग्रामीण अंचल में ही देवता के देवरे पर लेजाकर बेल डांडे करवा दिए। लेकिन महिला का इलाज नहीं करवाने के कारण सियार के काटने से वह रेबीज बीमारी से ग्रसित हो गई अब हवा पानी और रोशनी से घबरा कर पागलों जैसा व्यवहार करने लगी है। महिला की इस हालत को देख कर परिजन उसे ईलाज के लिए बेगूं लेकर आए लेकिन बीमारी अब लाईलाज हो गई। रेबीज से ग्रसित महिला 2 बच्चों की मां है, ऐसे में चिकित्सक द्वारा महिला के सम्पर्क में आए बच्चों और परिवारजनों को आवश्यक टीके लगवाने और बच्चों को महिला के सम्पर्क में नहीं आने देने की सलाह दी है।

समझें क्या है रेबीज बीमारी.....

सीनियर फिजिशियन सेवा निवृत डॉ. जी. आर. भुक्कल बेगू राजस्थान ने बताया कि रेबीज सेंट्रल नर्वस सिस्टम की घातक बीमारी है। रेबीज शब्द का अर्थ पागलपन होता है। आम तौर पर यह कुत्तों और जंगली मांसाहारी जानवरों के काटने से फैलती है। मनुष्यों सहित सभी गर्म खून वाले जानवर रेबीज संक्रमण के लिए अति संवेदन शील होते है। रेबीज का वायरस संक्रमित जानवरों की लार ग्रंथियों में मौजूद होता है। जब यह संक्रमित जानवर किसी को भी काटता है तो यह वायरस घाव के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाता है। फिर मस्तिष्क तक पहुंचता है और सेंट्रल नर्वस सिस्टम में स्थापित हो जाता है। इसके शुरूआती लक्षण सिरदर्द, गले में खराश, बुखार और काटने वाली जगह पर झुनझुनी होना अत्यधिक लार आना, निगलने में कठिनाई, इसके कारण पानी का डर, चिन्ता, भ्रम अनिद्रा और यहां तक की आंशिक पक्षाघात और कभी कभी कोमा जैसे लक्षण रेबीज का संकेत देते है। एक बार संक्रमण पकड़ में आने के बाद रेबीज का कोई इलाज नहीं है। हालांकि कुछ भाग्यशाली लोग जीवित रहने में कामयाब रहे है, लेकिन यह बीमारी आम तौर पर मृत्यु में परिणत होती है। अगर आपको लगता है कि आप रेबीज के संपर्क में आ गए है तो आपको बीमारी को घातक बनने से रोकने के लिए सम्बंधित टीके लगवाने चाहिए।

 

लापरवाही